
Our heart is like a field where seeds are planted and harvested. It is the place where we sow God’s Word and reap spiritual fruit.
We plant the seed of the Word when we listen and read it.
But planting alone is not enough. The Word grows when we practice it and pray over it. That is when it gains power in our lives.
However, there are things that hinder the Word from growing.
Jesus called them the rocky ground and the thorns.
Rocks represent a hardened heart—one that easily becomes discouraged or stumbles.
Thorns are the worries, complaints, discouragement, and hatred that choke the Word like weeds.
When these remain in our heart, the Word cannot take root and soon withers.
So we must remove these rocks and thorns through prayer.
This is the circumcision of the heart—cleansing and purifying our inner being.
When the heart becomes clean, the Word takes deep root and grows.
Today I ask you:
What rocks and thorns are in your heart?



Mujhe 13 sal se nind nahi aati hai
जय मसीह की पास्टर जी आज हमने बहुत अच्छा सीखा कि
हमें परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में एक बीज की तरह बोना चाहिए। जैसे बीज से पौधा और फिर पेड़ बनता है, वैसे ही यह वचन हमारे हृदय में एक पेड़ के समान विकसित होना चाहिए।
यदि वचन में कहा गया है कि हमें क्रोध नहीं करना है, तो इसका अर्थ है कि हमें उस क्रोध को तुरंत रोक देना चाहिए। यही सही मायनों में “बीज बोना” है।
लेकिन अगर हम वचन को सुनने के बाद भी गुस्सा करते हैं और उस क्रोध के बीज को बढ़ने देते हैं, तो अंततः हमें क्रोध का ही पेड़ प्राप्त होगा यानी हमारा जीवन क्रोध से भरा रहेगा
हमें परमेश्वर के वचन को अपने हृदय में बोना है और वह हमारे हृदय में एक पेड़ के समान बढ़ना चाहिए। यदि हमें कहा गया है कि गुस्सा नहीं करना है, तो हमें गुस्से को रोक देना है, यही है बीज को बोना।
लेकिन हम वचन को सुनने के बाद भी गुस्सा कर रहे हैं, उस गुस्से के बीज को बढ़ने दे रहे हैं, तो हम गुस्से का पेड़ ही प्राप्त करेंगे।”
“हाँ, पास्टर जी, अभी समय है कि हम 9 फलों बाइबल में बताए गए पवित्र आत्मा के 9 फलों को अपने हृदय में बोना है।”
“धन्यवाद पास्टर जी, आपने हमें कितना सुंदर अवसर दिया कि हम मुफ्त में mbstudy सकें। हाँ पास्टर जी, यही मौका है हमारे लिए कि हम मेहनत से पढ़ाई करें और इस सुंदर अवसर का लाभ ले सकें। और सच में, यह पिता परमेश्वर के द्वारा दिया गया जीवन का वचन है जो बहुत कीमती, बहुमूल्य है। यही समय है हमें और अधिक ऐसे संदेशों के द्वारा अधिक पवित्र बनने की। धन्यवाद पास्टर जी, आप हमें जो हर दिन वचन से सिखा रहे हैं, हम भी और अधिक मेहनत करके अपने आप को तैयार कर सकें।”